नई दिल्ली, जागरण प्राइम। अठारहवीं लोकसभा के तीसरे चरण के लिए मतदान होने को है। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। इस अंक में हम देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा और इससे जुड़ी चुनौतियों की चर्चा करेंगे। सुरक्षा के क्षेत्र में आजादी से अब तक की उपलब्धियों और आज की चुनौतियों पर हमने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी से बात की।

शहरी इलाकों में बीते कुछ समय में ड्रग्स की समस्या काफी बढ़ी है। सीमाओं से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के कई मामले सामने आए हैं। इनके निशाने पर बड़ी तादाद में युवा हैं। दुश्मन की साजिश है कि भारतीय युवाओं को नशे में झोंका जाए। पंजाब जैसे राज्य इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। इन्हें आप कैसे देखते हैं?

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि भारत ड्रग्स के दो बड़े तस्करी वाले इलाकों के बीच फंसा है। एक तरफ जहां गोल्डन ट्रायंगल है जहां म्यांमार, थाईलैंड और साउथ ईस्ट एशिया के कुछ देश हैं। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान और अफगानिस्तान है जहां से भारत में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी होती है। दरअसल हमारे जो भी दुश्मन या प्रतिस्पर्धी देश हैं वो हमेशा से भारत के युवा को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं। भारत का युवा कमजोर होगा तो देश कमजोर होगा। इससे दुश्मनों को मजबूती मिलेगी। आपने देखा होगा कि पंजाब और राजस्थान की सीमाओं से तस्करी के मामले सामने आते रहते हैं। हमारे सुरक्षाबल इस तस्करी को रोकने का हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन दुश्मन भी तस्करी के नए नए तरीके अपनाते हैं। पिछले कुछ समय में ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स की तस्करी के मामले बढ़े हैं। सीमा पर सुरंग बना कर भी तस्करी के प्रयास किए जा रहे हैं।

आज भारत सबसे ज्यादा युवा देश है। किसी भी देश के युवा उस देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में दुश्मन देश भारत की युवा शक्ति को निशाना बनाना चाहते हैं। पूर्वोत्तर भारत और पंजाब में बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में हैं। नशे की चपेट में आए युवा को हथियार देकर कुछ भी करवाया जा सकता है। पूर्वोत्तर में तो हालत ये है कि कई बार सेना के लिए वहां एनसीसी कैडेट की भर्ती मुश्किल हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए समाज को भी सुरक्षा बलों के साथ मिल कर काम करना होगा। युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं, देश की सीमा बहुत बड़ी है। ऐसे में सीमा पार से तस्करी 100 फीसदी रोक पाना बेहद मुश्किल है। ऐसे में हमारे देश की इंटेलिजेंस एजेंसी और लॉ एंड ऑर्डर एजेंसीज, जैसे स्थानीय पुलिस को और ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है। दरअसल ड्रग्स के कारोबार में काफी पैसा है, इसलिए ड्रग्स के तस्कर इस कारोबार को बढ़ाने के प्रयास करते रहते हैं। हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि अगर कोई बच्चा या युवा ड्रग्स की चपेट में आ जाए तो हमें उससे दूरी बनाने के बजाए उसके इलाज के प्रयास तेज करने होंगे। हमें समाज में ये भावना पैदा करनी होगी कि कोई युवा अगर ड्रग्स की चपेट में आ जाता है तो उसे पीड़ित के तौर पर देखना चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं बच्चा गलत रास्तों पर चला जाता है।

हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि ड्रग्स की तस्करी करने वाले लोग पकड़े जाने पर भी कानून में कमियों का फायदा उठाते हुए बच जाते हैं या छूट जाते हैं। हमें ड्रग्स के मुद्दे पर काफी सख्त होना होगा। इससे जुड़े लोगों पर कार्रवाई करने में किसी भी तरह की रियायत नहीं देनी चाहिए। दरअसल ड्रग्स की तस्करी से जुड़े लोग देश के असली दुश्मन हैं। देश के अंदर का कोई व्यक्ति हो या बाहर का, ड्रग्स तस्करी से जुड़े किसी व्यक्ति के पकड़े जाने पर किसी भी तरह की रियायत नहीं करनी चाहिए।